नया पुराना हर क़िस्सा दोहराया हमने !!
और आख़िर में ख़ुद को मुजरिम पाया हमने !!
उसकी गलियों से सन्नाटा ले कर लौटे !
घर के अंदर आ कर शोर मचाया हमने !!
मरा हुआ हम ख़ुद को मान चुके थे लेकिन !
उन आँखों में ख़ुद को ज़िन्दा पाया हमने !!
दरया भी इस ख़ुद्दारी से शर्मिन्दा है !
उसके आगे हाथ नहीं फैलाया हमने !!
राहे ख़ुदा में वाईज़ के बहकाये हुये थे !
फिर तो जाने कितनों को बहकाया हमने !!
हाथ मिला कर जान बचाई जा सकती थी !
लेकिन अपने सर पर दांव लगाया हमने !!
- राहील सक़लैनी
और आख़िर में ख़ुद को मुजरिम पाया हमने !!
उसकी गलियों से सन्नाटा ले कर लौटे !
घर के अंदर आ कर शोर मचाया हमने !!
मरा हुआ हम ख़ुद को मान चुके थे लेकिन !
उन आँखों में ख़ुद को ज़िन्दा पाया हमने !!
दरया भी इस ख़ुद्दारी से शर्मिन्दा है !
उसके आगे हाथ नहीं फैलाया हमने !!
राहे ख़ुदा में वाईज़ के बहकाये हुये थे !
फिर तो जाने कितनों को बहकाया हमने !!
हाथ मिला कर जान बचाई जा सकती थी !
लेकिन अपने सर पर दांव लगाया हमने !!
- राहील सक़लैनी
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